बेखुद किए देते हैं अंदाज हिजाबाना
आ दिल मे तुझे रख लु ऐ जलवए जानाना
इतना तो करम करना ऐ चश्मे करीमाना
जब जान लबो पर हो तुम सामने आजाना
क्युँ आँख मिलाई थी क्युँ आग लगाई थी
अब रुख को छिपा बैठे कर के मुझे दिवाना
जी चाहता है तोहफे मे भेजु मै उन्हें आँखें
दर्शन के तो दर्शन हो नज़राने का नज़राना
पीने को तो पीलुँगा पर अर्ज़ ज़रा सी है
अजमेर का साक़ी हो बग़दाद का मैखाना
क्युँ आँख मिलाई थी क्युँ आग लगाई थी
अब रुख को छिपा बैठे कर के मुझे दिवाना
बेदम मेरी क़िस्मत मे सजदे हैं उसी दर के
छुटा है न छुटेगा संगे दरे जानाना